तूफ़ान

Wednesday, January 31, 2024

क्या दुख है समुंदर तो बता भी नहीं सकता 
अंजानो से लगते हो, तो ये दिल लगा भी नहीं सकता 


डूबती है कश्ती जब डूब जानी होती है 
पानी अन्दर हो या बाहर कोई बचा नहीं सकता 

 
तू नहीं है यहाँ तो ख़ता इस में तेरी क्या 
हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता

 
तेरी हर एक बात को किताब की तरह पढ़ा है 
एक भी पन्ने को किसी तरह भुलाया जा नहीं सकता

 
वैसे तो तेरी आँखें बहा कर ले जाए मुझे 
ऐसे तो कोई तूफ़ान मुझे हिला भी नहीं सकता 

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