क्या दुख है समुंदर तो बता भी नहीं सकता
अंजानो से लगते हो, तो ये दिल लगा भी नहीं सकता
डूबती है कश्ती जब डूब जानी होती है
पानी अन्दर हो या बाहर कोई बचा नहीं सकता
तू नहीं है यहाँ तो ख़ता इस में तेरी क्या
हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता
तेरी हर एक बात को किताब की तरह पढ़ा है
एक भी पन्ने को किसी तरह भुलाया जा नहीं सकता
वैसे तो तेरी आँखें बहा कर ले जाए मुझे
ऐसे तो कोई तूफ़ान मुझे हिला भी नहीं सकता
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