इंतज़ार !!!

Saturday, December 27, 2025


इंतज़ार !!!

पलों को घंटों में, घंटों को दिनों में,
दिनों को हफ्तों, और हफ्तों को सालों में
ख़ामोशी से बदलते देखा है 

वक़्त को गुज़रते नहीं, धीरे-धीरे
हाथ से फिसलते देखा है।

क्या तुमने कभी किसी को
इंतज़ार करते देखा है?

सवालों के बोझ तले जवाबों की भीड़,
जवाबों में सच्चाई, सच्चाई में झूठ,
और डर की एक हल्की-सी परछाईं

क्या तुमने कभी किसी को 
ब्रह्म में  देखा है?

समझ-समझ कर ख़ुद को समझाने की आदत,
खो चुकी ख़ुशी के साथ भी बस यूँ ही जीना 

चेहरे पर ठहरा हुआ सब्र,
और दिल में अधूरा-सा उम्मीद का शोर।

क्या तुमने कभी किसी को
भटकते हुए देखा है?

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