मुलाकात

Monday, December 18, 2023

कितना सकून था उन मुलाकातों में

जहा लब्जो से जयादा आँखें बोलती थी।

हम थे और वक्त था। हर चीज जैसे हमारे लिए ही  थी !

ना साथ का छूटना ना दूर होने का डर।

ना वक्त का तकाज़ा ना किसी बात की चिंता  !

दुनिया सारी  एक तरफ। वो मुलाकात एक तरफ।

जरा जरा सी बात पर। घंटो बातें करना।

और जब चुप होना। तो इतना परेशां होना  !

खुश होने का मतलब समझना आसान था .. ।

और जब मुलाकात खत्म होती।

अगली के इंतज़ार मैं और पिछली की याद में !

यादें बनती गई !


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